1-
बस एक छोटी सी ख्वाहिश है, मेरी हथेली में चाँद हो ...
और जी भरकर मैं उसका दीदार करूँ .... :):):):)
2-तो क्या हुआ अगर खंडित मूरत हैं तुम्हारी यादें ... ? मन के मंदिर में न सही स्मृतियों की नदी में निरंतर प्रवाहित हो रहीं हैं ....
3-
माँ की और तुम्हारी दुआएँ एक जैसी हैं ... उदासी के आने से पहले माथे पर नर्म, सुर्ख मुस्कराहट रख जातीं हैं ...
4-
सूखे रंग
जो दिखे
दूर ...................
बहुत दूर होते गए !
पलकें बंद हुई
भीगे रंग
जो नहीं दिखे
.................... पास
बहुत पास आते गए ...
5- एक बेबस
भूखी
गरीब
अपमानित
सिसकते अक्षरों वाली
स्त्री-जीवन पर लिखी कविता
महफ़िलों की रौनक
तालियों की गूँज से आनंदित
पुरस्कारों से सम्मानित
अपने आलीशान महल में
आराम फरमाती रही !
वास्तविक जीवन में
एक वैसी ही स्त्री
आंसू बहाती
महफ़िलों की रौनक वाली
कविताओं के बीच
अकेली भटकती रही .........
धन्यवाद संजय जी !
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