ये खूबसूरत चाँद
पूरा पूनम का चाँद
खामोश रातों का ये हमसफ़र चाँद
धरा के रोम-रोम को ..
रौशनी से सराबोर करता ये चाँद
दीदार तो हमने कर लिया जी भर के
अब ख्वाहिश ये जागी है ..
के एक बार छू लूँ ये चाँद
इसके काले दाग को ..
अपनी आँखों का काजल बना लूँ
करीब तो ये पहले भी था
अब इसे अपनी पलकों में छिपा लूँ
और बस,
इसकी शीतल तपिश को महसूस करूँ
पूरा पूनम का चाँद
खामोश रातों का ये हमसफ़र चाँद
धरा के रोम-रोम को ..
रौशनी से सराबोर करता ये चाँद
दीदार तो हमने कर लिया जी भर के
अब ख्वाहिश ये जागी है ..
के एक बार छू लूँ ये चाँद
इसके काले दाग को ..
अपनी आँखों का काजल बना लूँ
करीब तो ये पहले भी था
अब इसे अपनी पलकों में छिपा लूँ
और बस,
इसकी शीतल तपिश को महसूस करूँ
बहुत रोचक और सुन्दर अंदाज में लिखी गई रचना .....आभार
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