बहुत खूबसूरत हूँ मैं ...
सुबह की सुनहरी धूप हूँ मैं !
कल- कल करती बलखाती चाल है मेरी ...
सरिता हूँ मैं !
सूरज की रौशनी से चमकता हिमालय जैसे ...
सिंदूरी ,उजला मेरा रूप है ऐसे !
घुमड़- घुमड़ कर जो मेघ बरसते ..
वो काली घटायें हूँ मैं ...
लाल,पीले,नीले जो फूल खिलें हैं ..
उनकी रंगत - ख़ुशबू हूँ मैं !
चाहो अगर तुम खोज लो ...
रत्नों का खजाना हूँ मैं ...
सागर की गहराई में जाओ ...
सीप में छिपी मोती हूँ मैं !
कोयल जैसी कूक है मेरी ..
चिड़ियों जैसी चहक है मेरी ..
कलरव करती कभी इस डाल ..
कभी उस डाल ...
वो पंछी हूँ मैं !
धरा का आँचल लहरा रही ...
वो मलय पवन हूँ मैं !
करती हूँ तुम्हे मैं बहुत प्यार ...
तुम भी तो करो मुझे थोडा प्यार ..
आओ मेरे पास,मुझे समझो ,
मुझे सहेजो ...
प्रकृति हूँ मैं ...
प्रकृति हूँ मैं ...
**** शोभा ****