एक कविता अधूरी सी है
शब्दों में ढली थी मुस्कुराकर
उदित हुई थी भोर की लाली लेकर
मध्य में आकर थमीं सी है
कुछ शब्द चहके थे चिड़ियों से
अंधियारों में वो चहक खोयी सी है
रात रात भर भटक रहे
ठहरते नहीं एक भी
शब्द वो कहाँ से लाऊं
खोजती ये आँखें
कई रातों से सोयी नहीं है
एक कविता अधूरी सी है .........
शोभा
कई रातों से सोयी नहीं है
ReplyDeleteएक कविता अधूरी सी है .........
to use ehsaason kee lori suna dijiye pannon per
http://urvija.parikalpnaa.com/2011/10/blog-post_12.html
ReplyDeleteनियत समय पर कविता स्वतः पूरी हो जाती है...
ReplyDeleteअधूरी कवितायेँ सोने नहीं देती... सुन्दर भाव!
मन के अंतर्द्वंद्वों का प्रतिबिम्ब. छोटी सी सुंदर कविता बहुत कुछ कहती है.
ReplyDeleteशब्द वो कहाँ से लाऊं
ReplyDeleteखोजती ये आँखें
कई रातों से सोयी नहीं है
एक कविता अधूरी सी है .........बहुत ही बेहतरीन पंक्तिया....
बेहतरीन......अधूरेपन की सम्पूर्ण कविता...
ReplyDeleteadhuri kavita par achchhi hai....
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteजितने खूबसूरत शब्द हैं उनते ही उन्नत भावों से सजाया है. शब्द नहीं हैं मेरे पास बयान करने के लिए
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मन के भाव लिए हुए
ReplyDeleteकल 09/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
कई रातों से सोयी नहीं है
ReplyDeleteएक कविता अधूरी सी है
कविता को पूर्णता की शुभकामनाएँ ....
बहुत सुन्दर रचना है,,
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