उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश )
Monday, April 25, 2011
ऐ चाँद !
ऐ चाँद !
तुम क्यूँ इतना करीब आये ?
विशाल समंदर मेरे भीतर ठहरा हुआ था
तुम उसको छलका गए ....!!! शोभा
1 comment:
संजय भास्कर
May 3, 2011 at 7:44 PM
कम शब्दों में बहुत सुन्दर कविता।
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कम शब्दों में बहुत सुन्दर कविता।
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