Thursday, May 3, 2012

सखी जब तुम वापस आना

सखी जब तुम वापस आना
*****************
उगते हुए ताम्बई सूरज की चमक
अपनी बिंदिया में सजा लाना
दुपहरिया के धूप की तपन
अपनी साड़ी में सोख लाना
मंदिर के बाहर के पीपल की थोड़ी छाँव
अपनी चोटी में गूँथ लाना
तारों के नीचे सोते हुये
उनकी गिनती लिख बटुए में लेती आना
सुनना "रामबिरिक्ष" की कहानियाँ
मीठे सपनों में सुनहरे,मखमली पंखों से
सहलायेंगी तुम्हें रात भर परियाँ
वो नर्म अहसास अपनी बांहों में भर लाना
अमवारी की खट्टी हवाएं
अपनी साँसों में भर लाना
कोयल की मीठी कूक
अपनी आवाज़ में उतार लाना
पगडंडियों की धूल से अपने पाँव सान लाना
नानी के आंसुओं से अपनी पलकें भिगो लाना
और भी बहुत कुछ ला सको तो लाना
तुम्हारे आने में, आ जाएगा मेरा गाँव इस शहर में
जहां आँगन नही होता, न मुंडेर
जहाँ काँव काँव करता कौवा भी नही लाता कोई सनेस
सखी तुम आना, तुममे मैं देखूँगी वो अतीत
जो कभी तीत लगता ही नहीं ..... ( शोभा )

21 comments:

  1. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  2. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  3. भूल सुधार ---
    कल 07/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  4. गाँव के हर बिम्ब से श्रृंगार की नूतन कल्पना, बधाई.

    ReplyDelete
  5. gaon ki yad dilati bahut hi khoobsurat rachna !
    www.bebkoof.blogspot.com

    ReplyDelete
  6. नानी के आंसुओं से अपनी पलकें भिगो लाना
    और भी बहुत कुछ ला सको तो लाना
    तुम्हारे आने में, आ जाएगा मेरा गाँव इस शहर में
    जहां आँगन नही होता, न मुंडेर

    बहुत सुंदर...भावभीनी रचना...

    सादर

    ReplyDelete
  7. ओ सखी मेरा भी उसे सलाम देना उस बीते अतीत कि यादों को मेरे साथ भी बाँट लेना | सुन्दर रचना |

    ReplyDelete
  8. बहुत ही सुन्दर ..भाव विभोर करती रचना....

    ReplyDelete
  9. गांव की याद साझा करती खूबसूरत प्रस्तुति.

    बधाई इस प्रस्तुति के लिये..

    ReplyDelete
  10. तुम्हारे आने में, आ जाएगा मेरा गाँव इस शहर में
    जहां आँगन नही होता, न मुंडेर
    जहाँ काँव काँव करता कौवा भी नही लाता कोई सनेस
    सखी तुम आना, तुममे मैं देखूँगी वो अतीत
    जो कभी तीत लगता ही नहीं ...
    yahi to hai aaj ka sach.....

    ReplyDelete
  11. सुरमय लेखनी ...बहुत खूब

    ReplyDelete
  12. सखी की वापसी कितनी भोली उम्मीदों पर टिकी है .. ...

    तुम्हारे आने में , आ जाएगा मेरा गाँव इस शहर में

    भण्डार है आपके पास आंचलिक ग्राम्य जीवन की शब्दावली का .जिसका बहुत सुन्दर सहज इस्तेमाल करती है आप

    ReplyDelete
  13. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...

    ReplyDelete
  14. शोभा मिश्रा जी का परीचय फरगुदिया से हुआ था... बेहतरीन कलमकार.... अपनी अभिव्यक्ति में खुद डूबकर लिखती हैं.... यहाँ आकर बड़ी खुशी हुई... - पंकज त्रिवेदी

    ReplyDelete