उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश )
Thursday, June 13, 2013
काले बादल
गलतफहमियों के तपते सूरज ने
हमें बहुत झुलसाया है
ख़ाक नहीं कर सका कुछ भी
अब ऋतु बदलने वाली है
क्योकि
आसमां के रुमाल पर जो ये सूरज है
उस पर मैंने काढ़ दीयें हैं,
काले बादल
और कुछ हरी पत्तियाँ ...
( बस यूँही .. कुछ रफ सा )
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