Thursday, March 31, 2011

कोरा कागज




कोरा कागज था ये दिल मेरा..
लिख कर तुमने दो प्यार भरी बातें..
क्यों मिटा दी तुमने वो सारी बातें ,
स्याही को भी तुमने सूखने न दिया ..
धब्बा बन बैठी हैं वो सारी बातें ,
अब तो ये मिटाए न मिटती हैं ..
गर लिखता भी है कोई कुछ .
तो मुझे ही न दिखती है ..!!
    **** शोभा ****

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