जब से होश सम्हाला है
तुम्हारे लिए ही जीती आई हूँ
सोती हूँ , तुम्हें ही सोच कर
जगती हूँ . तुम्हें ही देखकर
हर पल बस तुम्हारा ही ख़याल रहा
तुम्हारे कहने से पहले ही ..
तुम्हारे दिल की बात समझ लेती हूँ
हर पल मैं छाया बनकर रही तुम्हारी
कभी ये सोचा ही नहीं ..
की तुमसे अलग भी हूँ मैं
तुम्हारे हर ख्वाबों को पूरा होने का ..
मैं ख्वाब देखती हूँ !
लेकिन आज मुझे अचानक ये क्या ख़याल आया
शायद तितलियों को देखकर ..
फूलों की ख्वाहिश मुझे भी हुई
शायद पंछियों को देखर उड़ने का दिल मेरा भी हुआ
उन्ही की तरह चहकने का दिल मेरा भी हुआ
शायद यही एक मुझसे गुनाह हुआ
तभी तो तुमने मुझसे ये प्रश्न किया
किसके लिए ????
शोभा
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