Thursday, March 31, 2011

गुलाब



 मेरी डायरी में एक गुलाब है
ये एक खूबसूरत सौगात है
भेंट किया था किसी ने कभी
तब ये कितना खिला हुआ था
रंग भी इसका सुर्ख लाल था
अब ये सूख चुका है
खुशबु फिर भी इसकी ..
मेरे जेहन में अब भी ताज़ा है
जान से भी ज्यादा अज़ीज़ है ये मुझे
जब कभी भी डायरी खोलती हूँ ..
खूबसूरत ख्यालों में खो जाती हूँ
इस डर से की ,बिखर न जाये इसकी पंखुड़ियां कहीं ...
डायरी के पन्ने आहिस्ता से पलटती हूँ ...:):) <3 <3  शोभा

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