Friday, September 28, 2012

बात कुछ भी नहीं थी

बात कुछ भी नहीं थी
बस ..
आस-पास का माहौल
...कुछ ठीक नहीं था
हर तरफ
धोखे की कहानियों सा
कुछ बिखरा हुआ था
कुछ देर की तुम्हारी चुप्पी
कहानी के बेवफा किरदार की
झलक सी दिखाई दी

शायद तुम जान गए थे
इस उदासी की वजह
तभी तो तुमने चुप्पी तोड़ी
क्या करते हम गिला -शिकवा
चुप ही रहे
तुम्हारे भीतर कुछ भीग गया
उदासी की वजह हम बने
शायद इस बार भी
आख़िरी न हो
फिर भी
एक और बार
कर दो
मेरे गुनाह माफ़ ..

2 comments:

  1. bahut achhi abhivykti shobha ji , kai baar galat fahami bhi ho jatai hai samne wale ki chuppi se ...

    ReplyDelete
  2. bahut sundar.. aisa hi hota hai.. meri khamoshi ko usne ikraar gunah ka samjha, main to sadme me thi, uske ilzaam soch kar..

    ReplyDelete