Sunday, September 30, 2012

'कृतिम' 'चाँद'



तुम्हारा दावा है

सात फेरों वाली

तुम्हारी कविता

तुम्हारी सात बेड़ियों में

सुरक्षित है




सात परतों में उसे छिपा

तुम सराहते हो उन्हें

जो तुम्हारी नज़रों में

'निरंकुश' कविता है





सराही जाती है तुम्हारी

दोहरे मानसिकता वाली कविता

'कृतिम' 'चाँद' के रूप में ..!!

1 comment:

  1. अच्छी रचना
    बहुत सुंदर


    जब भी समय मिले, मेरे नए ब्लाग पर जरूर आएं..
    http://tvstationlive.blogspot.in/2012/09/blog-post.html?spref=fb

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