फूलों की क्यारियाँ
लताओं,बेलों से ढंके दरख्त
महकती हवाएं
पत्तों की सरसराहट ...
हठात,
'इसकी' चहक सुनकर
दो जोड़ी आँखें भी चहकी
और एक हो गयीं
बरबस ही ........
उनकी हाथों की उंगलियाँ
आपस में उलझ गयीं
ईश्श्श्श ..... की एक मधुर आवाज़
फिजाओं में गूंज गयी
अपने 'प्रिय' के होठों पर
ऊँगली रख
बस वो निहारती रही
~ ~ ~ "इसे" अपलक
(शोभा)
23/9/12
लताओं,बेलों से ढंके दरख्त
महकती हवाएं
पत्तों की सरसराहट ...
हठात,
'इसकी' चहक सुनकर
दो जोड़ी आँखें भी चहकी
और एक हो गयीं
बरबस ही ........
उनकी हाथों की उंगलियाँ
आपस में उलझ गयीं
ईश्श्श्श ..... की एक मधुर आवाज़
फिजाओं में गूंज गयी
अपने 'प्रिय' के होठों पर
ऊँगली रख
बस वो निहारती रही
~ ~ ~ "इसे" अपलक
(शोभा)
23/9/12
लाजवाब रचना,गहरे भाव |
ReplyDeleteसादर |
अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर