अचानक से हाथ लगे आज खत तुम्हारे
खुले तो मानो एक दुनिया खुल गयी मेरे सामने
गुजरे वक्त के समंदर लांघ
जाने कब पहुँच गयी बीते अ -तीत में
खत में तुम हो
तुम्हारा गुस्सा है
शिकायतें हैं
सबसे ज्यादा हैं विरह के नुक्ते और प्यार के हर्फ
खत रंगा है अलग अलग भाव से
सारे भाव पढ़ते मेरे होठों पर बस मुस्कुराहट है
आखिरी खत की तारीख देख
भीग गयीं पलकें
सुनो ..
एक खत फिर लिख के भेजो न !
शोभा
६/८/12
सबसे ज्यादा हैं विरह के नुक्ते और प्यार के हर्फ
खत रंगा है अलग अलग भाव से
सारे भाव पढ़ते मेरे होठों पर बस मुस्कुराहट है
आखिरी खत की तारीख देख
भीग गयीं पलकें
सुनो ..
एक खत फिर लिख के भेजो न !
शोभा
६/८/12
अच्छी रचना
ReplyDeleteक्या बात
खूबसूरत रचना
ReplyDeleteआता ही होगा एक और खत ...इस खत के जवाब में....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!!
अनु
सार्थक अभिव्यक्ति। मेरे नए पोस्ट 'समय सरगम' पर आपका इंतजार रहेगा।
ReplyDelete