Wednesday, June 22, 2011

मृगमरीचिका नहीं हैं खुशियाँ

सफ़र है कठिन
आसान इसे तुम्हें स्वयं ही करना होगा
इन् बाधाओं से तुम्हें अकेले ही लड़ना होगा
न बनो इतने लाचार
ढेरो खुशियाँ फूल बनी बिखरी हैं राहों में
कुछ चुनकर इनमें से ..
महका लो अपना जीवन
कर लो अपने अधूरे सपने को साकार
खता नहीं है कोई ,फूलों से सुगंध चुराना ...
और बादल का इक टुकड़ा अपनाकर उसमें भीग जाना
मृगमरीचिका नहीं हैं खुशियाँ
इनको हासिल कर ..
अपने जीवन के हर पल को ..
जी भरकर जी लो .......
 शोभा

7 comments:

  1. खता नहीं है कोई ,फूलों से सुगंध चुराना ...
    और बादल का इक टुकड़ा अपनाकर उसमें भीग जाना


    क्या कहने। सच में सुंदर भाव, बेहतरीन रचना

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  2. प्रेरक प्रस्तुति - बहुत सुंदर

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  3. अच्छी ..एक सुलझी हुई ..प्रेरणास्पद रचना

    'मृग मारीचिका नहीं हैं खुशियाँ '

    नहीं ,बिलकुल नहीं ..हाथ बढाओ और समेट लो ...

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  4. सुन्दर प्रेरणादायी रचना शोभा

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