न सागर में नमीं रही, न नदियों में
घुमड़ आयें हैं ये बदरा ..
कुछ नमीं लेकर मेरी अँखियों से
गर,बरस गये तो सैलाब लायेंगें
सब करेंगें शिकवा, मेरी अँखियों से .....शोभा
घुमड़ आयें हैं ये बदरा ..
कुछ नमीं लेकर मेरी अँखियों से
गर,बरस गये तो सैलाब लायेंगें
सब करेंगें शिकवा, मेरी अँखियों से .....शोभा
बहुत सुंदर पंक्तियां हैं।
ReplyDeleteबधाई