Sunday, December 19, 2010

**** अनमोल हूँ मैं ****




बहुत खूबसूरत हूँ मैं ...
सुबह की सुनहरी धूप हूँ मैं !


कल- कल करती बलखाती चाल है मेरी ...
सरिता हूँ मैं !


सूरज की रौशनी से चमकता हिमालय जैसे ...
सिंदूरी ,उजला मेरा रूप है ऐसे !


घुमड़- घुमड़ कर जो मेघ बरसते ..
वो काली घटायें हूँ मैं ...


लाल,पीले,नीले जो फूल खिलें हैं ..
उनकी रंगत - ख़ुशबू हूँ मैं !


चाहो अगर तुम खोज लो ...
रत्नों का खजाना हूँ मैं ...


सागर की गहराई में जाओ ...
सीप में छिपी मोती हूँ मैं !


कोयल जैसी कूक है मेरी ..
चिड़ियों जैसी चहक है मेरी ..
कलरव करती कभी इस डाल ..
कभी उस डाल ...
वो पंछी  हूँ मैं !


धरा का आँचल  लहरा रही ...
वो मलय पवन हूँ मैं !


करती हूँ तुम्हे मैं बहुत प्यार ...
तुम भी तो करो मुझे थोडा प्यार ..


आओ मेरे पास,मुझे समझो ,
मुझे सहेजो ...


प्रकृति हूँ मैं ...
प्रकृति हूँ मैं ...

**** शोभा ****

1 comment:

  1. आओ मेरे पास,मुझे समझो ,
    मुझे सहेजो ...


    प्रकृति हूँ मैं ...
    प्रकृति हूँ मैं ...

    waah ati sundar SHOBHA !!

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