Thursday, October 10, 2013

आसमान में कुछ चमका

कोई देख ले तो सोचेगा की गहरी नींद सो रही है , लेकिन नहीं ... जब से होश संभाला है उनींदी के उड़नखटोले में सवार ब्रह्म -मुहूर्त की शुभ बेला में नर्म तकिये को अंकवार में भर किसी चिड़िया की टिहू - टिहू का इंतज़ार रहता है उसे ।
.. लेकिन आज की भोर अपने साथ ये कैसा शोर लेकर आई .. आसमान में कुछ चमका और कमरा एक क्षण के लिए रौशनी में नहा गया दूसरे ही क्षण तेज कड़कती आवाज़ सुनकर उसकी हृदय गति तेज हो गयी .. कुछ क्षणों का भय था .. बात समझते देर नहीं लगी कि अचानक ऋतु के विपरीत प्रकृति ने एक हल्की करवट ली है .. आसमान से चमक कर भयावह चीत्कार के साथ बार-बार कौंधती बिजली ऊँची इमारतों और पेड़ोंं को छूने को आतुर थी ।
आँख खोलने के बाद रोज की तरह आज भी उसी छोटी खिड़की की तरफ उसने देखा ..बाहर हलकी भीगी रौशनी में नहाया बरसता आसमान आज कुछ उदास था ... सूखे पॉपुलर की कुछ शाखाएँ नज़र आ रही थी ... उठकर खिड़की के पास जाकर देखा तो आज उसे सूखे पेड़ पर चिड़ियों का समूह नहीं दिखाई दिया .. बारिश में भीगती दो चिड़िया लगातार आसमान की ओर देख रही थी ।
मन में कई प्रश्न उठ रहे थे .. बाकी चिड़िया कहाँ गयी ? आस-पास कोई घोसला भी तो नहीं नज़र आ रहा .. सूखे पॉपुलर के आस-पास हरे-भरे पॉपुलर भी हैं लेकिन गौर से उनकी पत्तियों में झाँकने पर भी उसे कोई चिड़िया नज़र नहीं आई .. कहाँ गयी सब ? और ये दो चिड़िया लगातार तीन- चार घंटे से इस पेड़ पर बैठी क्यों भीग रही हैं ? ये कड़कती बिजली के शोर से डर क्यों नहीं रही ?.....
( एक बरसती - भीगती सुबह )

Shobha Mishra

1 comment:

  1. भावो का सुन्दर समायोजन......

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