Wednesday, June 22, 2011

मृगमरीचिका नहीं हैं खुशियाँ

सफ़र है कठिन
आसान इसे तुम्हें स्वयं ही करना होगा
इन् बाधाओं से तुम्हें अकेले ही लड़ना होगा
न बनो इतने लाचार
ढेरो खुशियाँ फूल बनी बिखरी हैं राहों में
कुछ चुनकर इनमें से ..
महका लो अपना जीवन
कर लो अपने अधूरे सपने को साकार
खता नहीं है कोई ,फूलों से सुगंध चुराना ...
और बादल का इक टुकड़ा अपनाकर उसमें भीग जाना
मृगमरीचिका नहीं हैं खुशियाँ
इनको हासिल कर ..
अपने जीवन के हर पल को ..
जी भरकर जी लो .......
 शोभा

सब करेंगें शिकवा

न सागर में नमीं रही, न नदियों में
घुमड़ आयें हैं ये बदरा  ..
कुछ नमीं लेकर मेरी अँखियों से
गर,बरस गये तो सैलाब लायेंगें
सब करेंगें शिकवा, मेरी अँखियों से .....शोभा

एक माँ की अपनी बेटी को सीख


बहुत मन्नतों से मिली हो तुम
मेरे आँगन की कली हो तुम

पलक झपकते ही समय बीता
इतनी जल्दी तुम बड़ी हो गयी

कुछ सीख देती हूँ तुम्हे
याद हमेशा तुम इसे रखना

जब भी अकेली बाहर जाना
भीड़ से जरा बचकर रहना

भ्रमित बुद्धि वालों पर
 आवाज़ अगर उठाओगी

शर्मिंदा आप ही हो जाओगी


ठोकर तुम्हे लगे कभी
सर से पहले वस्त्र सम्हालना

विदाई भी इक दिन होगी तुम्हारी
पति की सेवा , बड़ो का सम्मान ...
छोटों को प्यार भरपूर देना
स्वयं भूखी सो जाना ...
पर किसी को भूखे न सोने देना
स्त्री ही तो रसोई है
ये याद जरुर रखना
कभी किसी की आँखों में आँसू न आने देना
अपने आँसुओं को तुम स्वयं ही पोछ लेना

नहीं चाहूँगी ये कभी ..
बेटी की तुम माँ बनो
फिर भी अगर तुम बेटी की माँ बनना
उसको भी यही सीख देना


अगर सीख मेरी  याद रखोगी तुम
सबकी आँखों का तारा बनोगी तुम ..... शोभा



प्रभु फिर से छेड़ो मुरली की तान ~ ~ ~ ~






प्रभु फिर से छेड़ो मुरली की तान
जीवन नईया है बीच मजधार ,

अनगिनत दुस्सासनों के फिर बढ़ रहे हाथ
द्रौपदी  के वस्त्र को करने तार तार
सखा बनकर आओ प्रभु ..
फिर से बचाओ उनकी लाज ,

कंस रुपी राक्षसों ने, एक बार फिर से चली है चाल
अब तो अवतार लो प्रभु , करो इनका संहार ,

गउओं का भी तुम्हारी देखो, हो रहा अपमान
फिर से चरवाहा बन आओ ...
वापस दिलाओ इनका सम्मान ,

फिर जहरीली हुई है तुम्हारी पवित्र यमुना
फिर तुम आओ ...
देख तुम्हें होगा नतमस्तक कालिया नाग ,

तुम बिन देखो , गोपियाँ हो गयीं उदास
देख तुम्हें,फिर होगी किसी राधा के होठों पर मुस्कान
फिर बज उठेगी किसी मीरा के वीणा की तान ,

फिर एक बार आओ प्रभु ...
करा दो प्रेम रस की कुछ बूंदों का पान ,

प्रभु फिर से छेड़ो मुरली की तान ........