Thursday, October 3, 2013

चाँदनी से नहाई छत सूनी होगी
चाँद भी बाँट जोहता होगा
चटाई पर तुम करवटें बदल रही होगी
यहाँ उलझे हैं पलकों में कुछ मोती
देखना !
तुम्हारा सूती आँचल भीगा होगा....

( नींद न आने के बहाने कुछ ..)


आज भी साँस लेती है मिटटी उन घरौंदों की 
रीत कर प्रेम की नमी से जिसे हमने बनाया था

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