कृतिम रंग, स्तब्ध इमारतें
हकीक़त की नर्म रंगत ओढ़े पलाश
गहरी परत ओढ़े चेहरे
मस्तिष्क की शिराएँ,
यांत्रिक संकेतों पर भागती
एक मौसम सी है ज़िन्दगी
हकीकत के रंग ओढ़ ,
क्यों नहीं ठहर जाती ....!!!
हकीक़त की नर्म रंगत ओढ़े पलाश
गहरी परत ओढ़े चेहरे
मस्तिष्क की शिराएँ,
यांत्रिक संकेतों पर भागती
एक मौसम सी है ज़िन्दगी
हकीकत के रंग ओढ़ ,
क्यों नहीं ठहर जाती ....!!!
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति.
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ.