दिल्ली में अक्सर रोड रेज़ की घटनाओं की खबर देख सुनकर डर
सा लगता है लेकिन आज जब मैं ऑटो से घर आ रही थी तो रेड लाइट पर तीन
महिलाओं को आपस झगड़ते देखकर बस यूँ ही मुस्कुरा पड़ी, बस के लिए वेट कर रही
तीनों महिलाऐं परिधान से उ.प्र के गाँव की लग रहीं थी, दो महिलाऐं बैठी थी ,
एक महिला खड़ी थी, जो महिला खड़ी थी वो बैठी हुई महिलाओं की तरफ बार-बार
झुक कर अपने दोनों हाथों को सुखोई जहाज़ के कलाबाजियों की तरह घुमा-घुमाकर
कुछ कह रही थी, बैठी हुई महिलाऐं भी कभी एक दूसरे की तरफ देखकर अपनी गर्दन
कठपुतली की तरह हिला-हिलाकर कुछ कहती , कभी सामने खड़ी महिला की तरफ कुछ यूँ
उचककर आगे बढ़ जातीं जैसे उसे अभी पीट देंगी .
इस झगडे में सबसे अच्छी बात मुझे उनका कभी चिड़िया के पंख की तरह हाथ हिलाना और कभी बौराई गाय की तरह सर झटकना लग रहा था. हमारे उत्तर प्रदेश में जब लड़की का विवाह होता है तब विवाह संपन्न हो जाने के बाद लड़के पक्ष के पुरुष मंडप का बंधन खोलतें हैं जिसे माड़ो हिलाना भी कहा जाता है, उस समय घर की महिलाऐं गारी (गाली)गातीं हैं, गारी गाते समय उन महिलाओं का हाथ भी बस स्टॉप पर झगड़ती महिलाओं के हाथ की तरह ही नाचता हुआ नज़र आता है.
जब ट्रैफिक लाइट का सिग्नल ग्रीन हुआ, ऑटो आगे बढ़ा तो मैंने महसूस किया कि मैं उन्हें देखकर कुछ ज्यादा ही मुस्कुरा रही थी, बगल में मर्सडीज़ कार में बैठे एक सज्जन पर मेरी निगाह गयी , वो मुझे कुछ आश्चर्य भरी नज़रों से देख रहे थे, जिसमें मैं बैठी थी वो ऑटो अपनी रफ़्तार पकड़ चुका था , ऑटो के साइड मिरर से मैंने देखा उन महिलाओं की भी बस आ गयी थी और वे सभी जल्दी-जल्दी उसमें बैठ रहीं थीं ....:)
इस झगडे में सबसे अच्छी बात मुझे उनका कभी चिड़िया के पंख की तरह हाथ हिलाना और कभी बौराई गाय की तरह सर झटकना लग रहा था. हमारे उत्तर प्रदेश में जब लड़की का विवाह होता है तब विवाह संपन्न हो जाने के बाद लड़के पक्ष के पुरुष मंडप का बंधन खोलतें हैं जिसे माड़ो हिलाना भी कहा जाता है, उस समय घर की महिलाऐं गारी (गाली)गातीं हैं, गारी गाते समय उन महिलाओं का हाथ भी बस स्टॉप पर झगड़ती महिलाओं के हाथ की तरह ही नाचता हुआ नज़र आता है.
जब ट्रैफिक लाइट का सिग्नल ग्रीन हुआ, ऑटो आगे बढ़ा तो मैंने महसूस किया कि मैं उन्हें देखकर कुछ ज्यादा ही मुस्कुरा रही थी, बगल में मर्सडीज़ कार में बैठे एक सज्जन पर मेरी निगाह गयी , वो मुझे कुछ आश्चर्य भरी नज़रों से देख रहे थे, जिसमें मैं बैठी थी वो ऑटो अपनी रफ़्तार पकड़ चुका था , ऑटो के साइड मिरर से मैंने देखा उन महिलाओं की भी बस आ गयी थी और वे सभी जल्दी-जल्दी उसमें बैठ रहीं थीं ....:)
बहुत सुंदर
ReplyDeleteकहां से विषय को निकाला आपने,
एक विषय को कैसे जीवंत किया जाता है, वो आप से सीखें..
सजीव चित्रण, सुंदर लेखन के लिये बधाई.
ReplyDeleteaisa hi kuchh hamare taraf bhi hota hai.. shadi me:)
ReplyDeleteachchha laga padh kar..