1-
पास न होते हुए भी
भीग जाते हो
मेरी नम आँखों में
एक आवाज़ भर सुनती हूँ
आँखें बंद करो !
कुछ देर एक मौन
सन्नाटा हम दोनों के बीच
अब ..?
इस सवाल के साथ ही
तुम खिलखिलाकर हँस पड़ते हो
भीग जाते हो
मेरी नम आँखों में
एक आवाज़ भर सुनती हूँ
आँखें बंद करो !
कुछ देर एक मौन
सन्नाटा हम दोनों के बीच
अब ..?
इस सवाल के साथ ही
तुम खिलखिलाकर हँस पड़ते हो
और मैं भी
कैसे पढ़ लेते हो
मेरे मन के ग़म की किताब
तुम इतनी दूर से ...(शोभा)
कैसे पढ़ लेते हो
मेरे मन के ग़म की किताब
तुम इतनी दूर से ...(शोभा)
2-
तेरी वफ़ा पे
बहुत है नाज़ हमें
कोई गुनाह कभी तुझसे
गर जो हुआ हो कहीं
तेरे गुनाहों की सज़ाओं का सिला
मेरी नज़र
करे मेरा परवरदिगार ..
तेरी वफ़ा पे
बहुत है नाज़ हमें
कोई गुनाह कभी तुझसे
गर जो हुआ हो कहीं
तेरे गुनाहों की सज़ाओं का सिला
मेरी नज़र
करे मेरा परवरदिगार ..
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
ReplyDeleteगहरे भाव लिए हुए...
ReplyDeleteदिवाली की अनंत शुभकामनाएँ |
सादर |