Thursday, February 24, 2011

तेरे लब पे खेलता वो तबस्सुम ..

तेरे लब पे खेलता वो तबस्सुम ..
मेरे कत्ल की वजह ही बन गया ..
मेरा वजूद फ़ना, उस मासूम अदा पे...
और मुस्कराहट तेरी कायम है लगातार ... !!! शोभा

2-
गुज़रा वक़्त लौट आया था
भ्रम था कि थमा हुआ है 
बेवफा नहीं था
वो वक़्त था
एक बार फिर गुज़र गया .. ........

3- 
कच्ची नींव थी ..इमारत ढहनी ही थी ..और कुछ नहीं ..बेसब्रों की ख़त्म कहानी यूँ ही हुआ करती है

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