उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश )
Saturday, June 2, 2012
अस्तित्व
वो भ्रम था
या थी हकीकत
कोरे , उजले चादर से ,
अस्तित्व में तुम्हें पाया था
जगह-जगह से तुम
तार-तार होते रहे
कतरा - कतरा मैं पैबन्द बनती रही
डरतीं हूँ
अस्तित्व ही न अपना
मिटा दूँ कहीं ....
2 comments:
विभूति"
June 2, 2012 at 7:33 AM
waah! bhaut khub.....
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nayee dunia
June 5, 2012 at 5:46 AM
bahut badhiyaa shobha ji
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waah! bhaut khub.....
ReplyDeletebahut badhiyaa shobha ji
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