वो फिर आज आई
अपनी देह पर सैकड़ों
नीले निशान लेकर
रूखे,बिखरे बाल
माथे पर उभरा नीला निशान
गालों पर छपी हुई नीली उंगलियाँ
गर्दन और पीठ पर
नाखूनों के खरोंच का निशान
बाहों पर निलयिपन लिए कत्थई निशान
कलाई पर चूड़ियों के जख्म
अपने चेहरे के दयनीय भाव को ..
छिपाने का असफल प्रयास करते हुए
और दिखाते हुए झूठा विद्रोहाना अंदाज़
वो घुटी हुई आवाज़ में चीखकर बोल रही थी
कुछ अपशब्द
" बीबी जी ! मांग धोये लिए आज हम
विधवा हैं हम आज से
दुई दिन निवाला मुह में न जाई
ता ओका होश ठिकाने आ जाई "
कांपती हुई आवाज़ में बडबडाती हुई
बेरहमीं से गुस्से में अपने जख्मी..
गालों पर से आँसूं पोंछ देती हैं
खुद पर हुई बर्बरता मुझे सुनाकर वो चली गयी
उसके जाने के बाद
मैंने महसूस किये अपने पैरों के कंपन
और बढ़ी हुई धड़कन को !
फिर आई वो दूसरे दिन
कुछ लजाती, मुस्कुराती हुई
सितारों से चमकती लाल साड़ी पहनकर
आज कुछ हलके पड़ गए थे
उसके जख्मों के निशान
आज बस इतना ही कह सकी थी वो
" उसने हमसे माफ़ी मांग ली है "
कुछ गुनगुनाती हुई
करती रही वो घर की सफाई
और मैं सोचती रही
उसके क्षणिक सुख के बारे में
और खोजती रही
इस प्रश्न का उत्तर
"क्या अपना जीवन यूँही बिता देगी
"वो" "उसे" माफ़ करते करते" .....? ( शोभा )
अपनी देह पर सैकड़ों
नीले निशान लेकर
रूखे,बिखरे बाल
माथे पर उभरा नीला निशान
गालों पर छपी हुई नीली उंगलियाँ
गर्दन और पीठ पर
नाखूनों के खरोंच का निशान
बाहों पर निलयिपन लिए कत्थई निशान
कलाई पर चूड़ियों के जख्म
अपने चेहरे के दयनीय भाव को ..
छिपाने का असफल प्रयास करते हुए
और दिखाते हुए झूठा विद्रोहाना अंदाज़
वो घुटी हुई आवाज़ में चीखकर बोल रही थी
कुछ अपशब्द
" बीबी जी ! मांग धोये लिए आज हम
विधवा हैं हम आज से
दुई दिन निवाला मुह में न जाई
ता ओका होश ठिकाने आ जाई "
कांपती हुई आवाज़ में बडबडाती हुई
बेरहमीं से गुस्से में अपने जख्मी..
गालों पर से आँसूं पोंछ देती हैं
खुद पर हुई बर्बरता मुझे सुनाकर वो चली गयी
उसके जाने के बाद
मैंने महसूस किये अपने पैरों के कंपन
और बढ़ी हुई धड़कन को !
फिर आई वो दूसरे दिन
कुछ लजाती, मुस्कुराती हुई
सितारों से चमकती लाल साड़ी पहनकर
आज कुछ हलके पड़ गए थे
उसके जख्मों के निशान
आज बस इतना ही कह सकी थी वो
" उसने हमसे माफ़ी मांग ली है "
कुछ गुनगुनाती हुई
करती रही वो घर की सफाई
और मैं सोचती रही
उसके क्षणिक सुख के बारे में
और खोजती रही
इस प्रश्न का उत्तर
"क्या अपना जीवन यूँही बिता देगी
"वो" "उसे" माफ़ करते करते" .....? ( शोभा )
बदलती हुई मनः स्थिति को बखूबी उभारा है आपने।
ReplyDeleteसादर
बहुत खूब!!!
ReplyDeletetheek se padh hi nahi paai ho sake to font ka coloue badal lijie.....
ReplyDeleteमार्मिक ...दिल को छू गई ...
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबेहद गंभीर विषय पर लिखा हैं आपने ...हम सबके आस पास ये ही हो रहा हैं ....जिंदगी में कभी कभी कुछ सवालों के जवाब कभी नहीं मिलते
ReplyDeleteऔर खोजती रही
ReplyDeleteइस प्रश्न का उत्तर
"क्या अपना जीवन यूँही बिता देगी
"वो" "उसे" माफ़ करते करते" .....?