कुछ तो समझो दिल की बात
कभी तो बैठो दो पल साथ
क्यों कर रुसवा हो मुझसे
खता तुमसे पूछूँ बार बार
याद मुझे है अब भी वो दिन
बिन कहे समझते थे दिल की बात
लम्हां लम्हां गुजर रहा ऐसे
सदियाँ हो सिमटी इनमें जैसे
इससे पहले की बिखर जाऊं
आकर पास समेट लो मुझे
अब न समझे ,तो पछताओगे
अंश भी मेरा ढूढ़ नहीं पाओगे
***** शोभा ******
बहुत सुदर लिखते रहिये //
ReplyDeleteMAIN AAPKE BLOG KO LAMBU NAAM SE FOLLOW KAR RAHA HUN //