Friday, November 1, 2013

'रिश्ते

'वक़्त' को तो गुज़र ही जाना होता है .. लेकिन 'रिश्ते' !!!
... और उससे जुड़ी यादें दिल से कब जाती हैं भला ? महत्वाकांक्षाएं इतनी कि हम लगातार भागते रहें उपलब्धियों के पीछे .. ? इस बात से बेखबर कि भागते हुए हम कितने ही रिश्ते अपने पैरों तले कुचलते जा रहे हैं ..
ऐसी दौड़ में शामिल होने के न्योते एक नहीं हज़ारों हैं... साफ़ ,सपाट,चिकनी राह पकड़कर अगर दौड़ने का तनिक भी हुनर है तो कोई भी उपलब्धियां हासिल कर ले .. लेकिन रिश्ते ?
इस भागदौड़ में रिश्ते तो कही पीछे छूट जातें हैं ... रिश्ते तो व्यवहार में ठहराव चाहतें हैं .. धैर्य चाहतें हैं ...
वो कहाँ हैं .... कभी सोचा है आपने ....? या फिर आप रिश्तों का महत्व ही नहीं समझते ...

3 comments:

  1. कल 06/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  2. रिश्तों पर सटीक रचना |दीपावली पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
    आशा

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  3. बहुत सुन्दर लिखा है आपने

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