Thursday, February 24, 2011

मुबारक

मुबारक

जमाना मुबारक हो तुम्हें बेशक नया ..
पर भूल ना जाना तुम जो गुजर गया..
वो गलियां पुरानी..
वो खंडहर मकां..
वो जर्जर दरोदीवार..
उसमे शामिल तुम्हारा अहसास बाकी...
जैसे जर्द पत्तों में है कुछ जान बाकी..
हो सके तो वक्त फुरसत कभी...
रूख करना जरा..
जिधर है तुम्हारे नक्शे पा बाकी..!!!

shobha

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