Monday, July 1, 2013

तितलियाँ

अवसाद के क्षणों में
ढूँढने लगती हूँ,
तितलियों का 'घर '

देखतीं हूँ
रंग-बिरंगी तितलियों को
फूलों संग अंगीकार होते हुए

'फूल' तितलियों के घर नहीं होते
एक ऋतु तक रहतीं हैं ,
तितलियाँ उनके संग

आसमां छत
पंखुरियाँ बिछौना
सुगंधित बयार दीवारें
खेलतीं हैं तितलियाँ

कब सोतीं हैं
कब जागती है
सोचती हुई
रंग तितलियों के
अपने होठों के कोर में
........ ढूंढ लेतीं हूँ

(खुशियों की परिभाषा ढूँढने का प्रयास करते हुए .. बस यूँ ही )
(शोभा)

2 comments:

  1. पिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
    कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
    ब्लॉग बुलेटिन के इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं (23) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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