Friday, September 6, 2013

ghazal

हर पल हर दिन बिखर रहे हो 
तन्हाई से गुज़र रहे हो 

जिन वादों का दम भरते थे 
उन वादों से मुकर रहे हो

दुआ दिया करते थे जिनको
अब उनसे बेखबर रहे हो

ऊंचाई की सीढ़ी पर थे
उस सीढ़ी से उतर रहे हो

थक जाओगे तब लौटोगे
कर अनजाने सफ़र रहे हो

हासिल जो तुमको था शायद
खो अपना वो हुनर रहे हो

जिनकी नज़रों में थे ऊपर
उन नज़रों से उतर रहे हो

- शोभा मिश्रा

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