Sunday, March 17, 2013

स्त्री-जीवन पर लिखी कविता







एक बेबस

भूखी

गरीब

अपमानित

सिसकते

अक्षरों वाली

स्त्री-जीवन पर लिखी कविता

महफ़िलों की रौनक

तालियों की गूँज से आनंदित

पुरस्कारों से सम्मानित

अपने आलीशान महल में

आराम फरमाती रही !


वास्तविक जीवन में

एक वैसी ही स्त्री

आंसू बहाती

महफ़िलों की रौनक वाली

कविताओं के बीच

अकेली भटकती रही ..

2 comments:

  1. नारी कविताओं में भी मनोरजन का साधनमात्र ही सच्ची संवेदनाओं की पात्र नहीं.

    एक गंभीर और सवेदनशील प्रस्तुति.

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