Thursday, May 19, 2011

पिया मिलन

हर पल तरसी
दर दर भटकी
पिया की एक झलक को मैं निसदिन तरसी
थकी हारी जो एक पल को ठहरी
हलचल कुछ मेरे भीतर ही हुई
पिया छुपे थे मुझमें ही
कैसे ये मैं भूल गयी
देख सन्मुख उस 'साकार' को
झर झर मेरी अँखियाँ बरसी ...:))) shobha

Friday, May 6, 2011

~ ~चिर निद्रा की चाह ~ ~

  


यूँ तो जब भी कभी थक जाती हूँ
माँ गोद की चाह कर बैठती हूँ
नर्म गुदगुदी गोद पाकर माँ की
कुछ देर विश्राम कर लेती हूँ

जीवन पथ पर चलते -चलते ..
जब बहुत ज्यादा थक जाती हूँ
तब सुर्ख लाल, नर्म ,गुदगुदी , मखमली ...
गोद , उज्जवल, स्वच्छ , बिछौने ..
और चिर निद्रा की चाह कर बैठती हूँ ...!!!
 ~ ~ शोभा ~ ~